Bhu Aadhaar card online apply, भू-आधार कार्ड

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Bhu Aadhaar card online apply?

नमस्कार दोस्तों, इस आर्टिकल में हम भू-आधार के बारे में जानेंगे, जो हाल ही में सरकार द्वारा बजट में प्रस्तुत की गई एक नई पहल है। आधार कार्ड की तरह, अब जमीन का भी एक भू-आधार बनाया जाएगा, जिसे एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) दिया जाएगा। यह जमीन मालिकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। इस आर्टिकल में हम विस्तार से बात करेंगे कि Bhu Aadhaar card online apply होगा या नहीं। आखिर यह कार्ड कैसे मिलेगा , इसके क्या फायदे होंगे और यह कैसे काम करेगा। तो आपको आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ना हैं।

भू-आधार क्या है?

दोस्तों,सबसे पहले जानते है आखिर यह भू आधार कार्ड है क्या और इस नए बजट मे इसको लाने की क्या जरूरत पड़ी। तो दोस्तों भू-आधार एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है, जिसे (Unique Land Parcel Identification Number (ULPIN)) के नाम से जाना जाएगा। और मैँ आपको बात दु कि, यह डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) का हिस्सा है। यह एक 14 अंकों की पहचान संख्या है जो भूमि पार्सल के देशांतर और अक्षांश निर्देशांक के आधार पर भूमि पार्सल को दी जाती है और विस्तृत सर्वेक्षणों और भू-संदर्भित कैडस्ट्रल मानचित्रों पर निर्भर करती है। यह जमीन की पहचान को स्थापित करेगा, जमीन के क्षेत्रफल, उसकी सीमाओं, और सैटेलाइट तथा जियो टैगिंग के माध्यम से उसकी मैपिंग करेगा। यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानक पर आधारित है जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कोड मैनेजमेंट एसोसिएशन (ECCMA) मानक और ओपन जियोस्पेशियल कंसोर्टियम (OGC) मानक का अनुपालन करती है। डिजिटल युग में, जिस प्रकार आज की तारीख में सारी चीजें अपडेटेड होती जा रही हैं, उसी तरह जमीन का भी पूरी तरह डिजिटलीकरण किया जा रहा है, जिससे सरकार एक क्लिक में जमीन का पूरा विवरण देख सकेगी।

भू-आधार की आवश्यकता क्यों पड़ी?

दोस्तों, आज के समय में, जबकि सभी चीजें डिजिटल हो चुकी हैं, जमीन की रजिस्ट्री और रिकॉर्ड्स अभी भी पुराने तरीके से संचालित होते आ रहे हैं। इसमें कोई बड़ा अपडेट नहीं हुआ है, जिसके कारण अक्सर विवाद होते रहते हैं। लैंड माफिया कई जमीनों को कब्जा कर लेते हैं, और राज्य सरकार के पास मौजूद डेटा केंद्रीय सरकार के डेटा से मेल नहीं खाता है। इससे समय-समय पर कई विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। भू-आधार की मदद से जमीन की ओनरशिप और विवरण आसानी से ट्रैक किए जा सकेंगे, जिससे सभी लाभार्थियों को लाभ मिलेगा। सभी जमीनों को यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर प्रदान किया जाएगा, जिससे विवादों में कमी आएगी।

Bhu Aadhaar card online apply, भू-आधार कार्ड

भू-आधार कैसे काम करेगा?

दोस्तों, भू-आधार बनाते समय सरकार डिजिटल उपकरणों का उपयोग करेगी। जमीन की जियो टैगिंग और सैटेलाइट इमेजेस की मदद से जमीन की सटीकता को मापा जाएगा। जिससे किस इंसान के पास कितनी भूमि कहाँ कहाँ और कैसी है, उसका मिलिकाना हक और जमीन मे कोई विवाद, या उसके खेत के आसपास और किसके खेत है यह सारी जानकारी इस भू आधार मे देखने को मिलेगी। जिससे कोई भी इस भू आधार द्वारा मिली ULPIN नंबर के जरिए अपनी जमीन की सटीकता से जानकारी हासिल कर पाएगा।

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भू-आधार के लाभ

दोस्तों, इस कार्ड के लाभों की बात करें तो, किसानों और जमीन मालिकों को कई फायदे मिलेंगे। लगभग 29 राज्यों में यह काम शुरू किया गया है। पहले जमीन की डिटेल्स को जांचने के लिए लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती थी, लेकिन ULPIN बनने के बाद जमीन की एक्यूरेट डिटेल्स तुरंत चेक की जा सकेंगी। इससे सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे लोगों को मिलेगा। अगर उन्हें लोन लेना है। तो वह आसानी से प्राप्त कर सकेंगे, और जमीन की बिक्री या ओनरशिप ट्रांसफर भी आसान हो जाएगा।

  • जमीन से जुड़े विवाद व लड़ाई-झगड़े जीवन भर के लिए समाप्त।
  • वर्तमान समय में जमीन के मालिक का नाम व उसका विवरण।
  • खरीदने व बेचने में आसानी।
  • जमीन की सेटेलाइट से जिओटैगिंग।
  • जमीन का आकार Latitude & Longitude में।
  • रियल स्टेट में फायदा।
  • जमीन पर आसानी से लोन मिलना।
  • जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड।
  • न्यायालयों में लम्बित जमीनी विवाद का जल्द से जल्द निस्तारण।
  • तहसीलों में जमीन से जुड़े मामलों में हो रहे भ्रष्टाचार को ख़त्म करना।

भू-आधार कैसे बनवाएं और कार्ड कैसे मिलेगा?

दोस्तों, अभी के समय तो बस शुरू हुआ हैं। इस कार्ड को आपको स्वयं बनवाना नहीं पड़ेगा। यह कार्ड राज्य सरकार द्वारा बनाया जाएगा,और एक सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस होगा जिसमें आधार नंबर और जमीन का रिकॉर्ड लिंक किया जाएगा। इसके बाद आपको Unique Land Parcel Identification Number (ULPIN) नंबर प्रदान किया जाएगा। इसके लिए सरकार आपके गाव और शहर मे कैम्प के माध्यम से या फिर गाँव के प्रधान के माध्यम से बनवाया जा सकता है। तो जब यह कार्ड आपके क्षेत्र मे बनना शुरू होगा तो आपको सूचना मिल जाएगी। बहुत जल्द इसका मोबाईल एप भी लॉन्च होने वाला हैं। जिसमे आप अपने डिजिटल भू आधार का data ट्रैक कर पाओगे। हालांकि, कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जैसे कि कुछ राज्यों में जमीन का डेटा काफी जटिल है, जिसे डिजिटल तरीके से फीड करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन अगर यह काम सही तरीके से पूरा हुआ तो जमीन की पहचान एक क्लिक में साबित की जा सकेगी और लोन प्राप्त करना भी आसान हो जाएगा।

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कैसे लाभ मिलेगा?

दोस्तों, भू-आधार बनने के बाद किसानों और जमीन मालिकों को कई तरह के लाभ मिलेंगे। सबसे पहले, जमीन की डिटेल्स को जांचने के लिए अब लंबी प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी। जमीन की सटीक जानकारी तुरंत उपलब्ध होगी, जिससे सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे लोगों को मिलेगा। अगर उन्हें लोन लेना है, तो वह आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। जमीन की बिक्री या ओनरशिप ट्रांसफर भी आसान हो जाएगा।

चुनौतियाँ और समाधान

भू-आधार को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। कई राज्यों में जमीन का डेटा बहुत ही जटिल है, जिसे डिजिटल तरीके से फीड करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, सरकार ने इस काम को सुचारू रूप से करने के लिए कई उपाय किए हैं। यदि यह काम सही तरीके से पूरा होता है, तो जमीन की पहचान एक क्लिक में साबित की जा सकेगी, और लोन प्राप्त करना भी आसान हो जाएगा।

भू-आधार कैसे प्राप्त करें?

भू-आधार कार्ड राज्य सरकार द्वारा बनाया जाएगा और एक सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस में संग्रहित होगा, जिसमें आपका आधार नंबर और जमीन का रिकॉर्ड लिंक किया जाएगा। इसके बाद आपको यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर प्रदान किया जाएगा। इसके लिए, राज्य सरकार द्वारा विशेष कैंप लगाए जा सकते हैं। आप अपने गांव के मुखिया से संपर्क कर सकते हैं और यह जान सकते हैं कि आपके गांव में यह कार्ड कब बनेंगे।

Implementation कार्यान्वयन

ULPIN को अब तक 29 राज्यों में लागू किया जा चुका है। आंध्र प्रदेश, झारखंड, गोवा, बिहार, ओडिशा, सिक्किम, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, असम, मध्य प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, तमिलनाडु, पंजाब, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, लद्दाख, चंडीगढ़, कर्नाटक और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र। इसके अलावा, 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों- पुडुचेरी, तेलंगाना, मणिपुर और अंडमान और निकोबार द्वीप में ULPIN का पायलट परीक्षण किया गया है।
मध्य प्रदेश, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे कुछ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी स्वामित्व में ULPIN का उपयोग कर रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं

भू-आधार से भविष्य में कई संभावनाएं खुलेंगी। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल जमीन से संबंधित विवादों में कमी आएगी, बल्कि सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुंचेगा। लोन प्राप्त करना, जमीन की बिक्री और ओनरशिप ट्रांसफर जैसे कार्य अब अधिक सरल और पारदर्शी हो जाएंगे।

दोस्तों, इस आर्टिकल में हमने भू-आधार के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। अगर आपके पास कोई सवाल है, तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिखें। ब्लॉग पर नए हैं तो नोटिफिकेशन yes करना न भूलें। हम मिलते हैं आपसे अगले आर्टिकल में, तब तक के लिए गुड बाय,जय हिन्द!।

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