Marriage Certificate Online Kaise Banaye: –
नमस्कार दोस्तों, आज का आर्टिकल सादीसुधा लोगों के लिए बहुत आवस्यक है। यदि आपकी शादी हो चुकी है या होने वाली है। और अभी तक आपका मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बना है, और आप गूगल में Marriage Certificate Online Kaise Banaye सर्च कर रहे है तो, अब आपका इंतेजार खत्म हुआ। क्योंकि अब आप इसे ऑनलाइन अप्लाई करके आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है; आप घर बैठे अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप से फॉर्म भरकर मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल सरल है बल्कि आपके समय और मेहनत की भी बचत करती है। आइए, हम इस प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
Marriage Certificate बनाना क्यों जरूरी है?
मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना कई कारणों से जरूरी है।
- कानूनी मान्यता: मैरिज सर्टिफिकेट आपकी शादी को कानूनी मान्यता देता है। यह प्रमाणित करता है कि आपकी शादी कानूनी रूप से वैध है।
- आधिकारिक दस्तावेज: विभिन्न सरकारी और निजी कार्यों के लिए मैरिज सर्टिफिकेट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह पासपोर्ट, वीज़ा, और अन्य सरकारी दस्तावेज़ प्राप्त करने के लिए आवश्यक हो सकता है।
- संपत्ति के अधिकार: मैरिज सर्टिफिकेट संपत्ति के अधिकार और उत्तराधिकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बिना, संपत्ति के विवादों का समाधान करना कठिन हो सकता है।
- बैंक और वित्तीय लेन-देन: कई वित्तीय संस्थानों में संयुक्त खाता खोलने या लोन लेने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।
- बीमा और चिकित्सा लाभ: बीमा पॉलिसी और चिकित्सा लाभों के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। यह पति-पत्नी को एक-दूसरे के नाम पर बीमा पॉलिसी लेने में मदद करता है।
- पासपोर्ट और वीजा: विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट और वीजा आवेदन के दौरान मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है, खासकर अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ यात्रा कर रहे हैं।
- सेवानिवृत्ति और पेंशन लाभ: मैरिज सर्टिफिकेट पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के लिए आवश्यक हो सकता है।
- आधार कार्ड अपडेट: अगर शादी के बाद आपका या आपके जीवनसाथी का नाम बदलता है, तो आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र में नाम अपडेट करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।
- सामाजिक सुरक्षा: मैरिज सर्टिफिकेट सामाजिक सुरक्षा के तहत कई लाभों को प्राप्त करने में मदद करता है, जैसे कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना।
इन सभी कारणों से, शादी के तुरंत बाद मैरिज सर्टिफिकेट बनाना महत्वपूर्ण है। यह न केवल कानूनी मान्यता प्रदान करता है बल्कि आपके और आपके जीवनसाथी के अधिकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।
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Online apply process
- वेबसाइट पर जाएं: अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप में कोई भी ब्राउज़र खोलें और ‘नेशनल पोर्टल ऑफ इंडिया‘ सर्च करें। आपके सामने पहला लिंक ‘National portal of india‘ आएगा, उस पर क्लिक करें। इस सरकारी पोर्टल के माध्यम से आप बर्थ सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, और भी कई दस्तावेज़ ऑनलाइन बना सकते हैं।
- सर्च बार में मैरिज सर्टिफिकेट टाइप करें: Webiste के सर्च बार में ‘मैरिज सर्टिफिकेट‘ टाइप करें और सर्च करें। विभिन्न राज्यों के लिए लिंक दिखाई देंगे। अगर आपके राज्य में online apply की सुविधा है, तो आपके राज्य का Link दिखाई देगा। उस लिंक पर क्लिक करें। अगर लिंक नहीं मिलता है, तो नीचे पेज में Next पेज पर जाकर चेक करें।
- राज्य का पोर्टल खोलें: जैसे ही आपको अपने राज्य का link मिल जाता है, उस पर क्लिक करें। आपके राज्य का पोर्टल ओपन हो जाएगा। यहां पर आपको अपने जिले और नगरपालिका को सेलेक्ट करना है और सबमिट पर क्लिक करना है।
Name of Scheme
Apply Now ( उत्तर प्रदेश )
Official website
Marriage Certificate Form भरने की प्रक्रिया: –
- जनरल इंफॉर्मेशन: सबसे पहले Genral Information दें, जैसे Registration Unit में मेन ऑफिस को सेलेक्ट करें, Street Name टाइप करें, लोकैलिटी और सिटी को सेलेक्ट करें। शादी की तारीख और वेन्यू को भी सेलेक्ट करें।
- फोटो अपलोड करें: अपनी शादी की एक फोटो चूज फाइल के माध्यम से अपलोड करें।
- ब्राइड ग्रूम इंफॉर्मेशन: ब्राइड ग्रूम की जानकारी दें जैसे फुल नेम (फर्स्ट नेम, मिडल नेम, लास्ट नेम), फादर/मदर का नेम, रिलीजन, शादी के समय की उम्र, पासपोर्ट साइज फोटो, आधार नंबर, पूरा पता, ऑफिस एड्रेस, फोन नंबर, ऑक्यूपेशन, ईमेल आईडी, और एजुकेशन क्वालिफिकेशन।
- ब्राइड इंफॉर्मेशन: ब्राइड की पूरी जानकारी भरें, जैसे फर्स्ट नेम, मिडल नेम, लास्ट नेम, फादर/मदर का नेम, रिलीजन, शादी के समय की उम्र, पासपोर्ट साइज फोटो, आधार नंबर, पूरा पता, ऑफिस एड्रेस, फोन नंबर, ऑक्यूपेशन, ईमेल आईडी, और एजुकेशन क्वालिफिकेशन।

Witness information
- पहला विटनेस: ब्राइड ग्रूम के साइड के फर्स्ट विटनेस की जानकारी दें, जैसे फर्स्ट नेम, मिडल नेम, लास्ट नेम, फादर नेम, आधार नंबर, ऑक्यूपेशन, रिलेशनशिप, एज, और पासपोर्ट साइज फोटो। एड्रेस भी टाइप करें।
- दूसरा विटनेस: उसी प्रकार सेकंड विटनेस की जानकारी दें।
- ब्राइड के साइड के विटनेस: ब्राइड के साइड के फर्स्ट और सेकंड विटनेस की जानकारी भी उसी प्रकार भरें।


Document upload
- कॉमन डॉक्यूमेंट: शादी का इन्विटेशन कार्ड और मेमोरेंडम ऑफ मैरिज अपलोड करें।
- इंडिविजुअल डॉक्यूमेंट: ब्राइड ग्रूम और ब्राइड के व्यक्तिगत डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें। इनमें पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट, स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट, आदि शामिल हो सकते हैं।
- प्रूफ ऑफ एज: एज प्रूफ के लिए ब्राइड ग्रूम और ब्राइड दोनों के डॉक्यूमेंट अपलोड करें। इसमें बर्थ सर्टिफिकेट, स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट, आदि शामिल हो सकते हैं।
- प्रूफ ऑफ रेसिडेंस: एड्रेस प्रूफ के लिए राशन कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल, आधार कार्ड अपलोड करें।

Last step
- फाइनल सबमिट: सभी जानकारी और डॉक्यूमेंट्स चेक करने के बाद फाइनल सबमिट पर क्लिक करें। आपका एप्लीकेशन सबमिट हो जाएगा। इसके बाद कुछ दिन इंतजार करें, जैसे ही आपका मैरिज सर्टिफिकेट बन जाएगा, आपको एसएमएस द्वारा सूचित किया जाएगा।
- डाक द्वारा प्राप्ति: सर्टिफिकेट बनने के बाद, यह स्पीड पोस्ट द्वारा आपके दिए गए पते पर भेज दिया जाएगा।
मैरिज सर्टिफिकेट की सुरुआत कब हुई थी
दोस्तों भारत में विवाह प्रमाण पत्र (मैरिज सर्टिफिकेट) की शुरुआत का इतिहास विभिन्न कानूनों और कानूनी सुधारों से जुड़ा है। यहां इसका एक संक्षिप्त इतिहास दिया गया है:
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: भारत में विवाह पंजीकरण के लिए पहला महत्वपूर्ण कानूनी कदम हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के माध्यम से उठाया गया। इस अधिनियम के तहत हिंदू विवाहों को पंजीकृत करने की व्यवस्था की गई थी।
विशेष विवाह अधिनियम, 1954: यह अधिनियम उन लोगों के लिए था जो किसी भी धर्म के नहीं थे या अंतर-धार्मिक विवाह करना चाहते थे। इस अधिनियम ने नागरिक विवाह की स्थापना की और विवाह पंजीकरण को अनिवार्य बनाया।
मुस्लिम विवाह कानून: मुस्लिम विवाहों को शरियत कानून के तहत नियंत्रित किया जाता है, और पंजीकरण का प्रावधान नहीं था। हालांकि, कुछ राज्यों ने अपने कानूनों के माध्यम से पंजीकरण का प्रावधान किया है।
ईसाई विवाह अधिनियम, 1872: यह अधिनियम ईसाइयों के विवाह को पंजीकृत करने के लिए था और इसमें पादरी द्वारा विवाह पंजीकरण की आवश्यकता थी।
पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936: यह अधिनियम पारसी समुदाय के विवाहों को पंजीकृत करने के लिए था।
हालांकि, विवाह पंजीकरण को पूरे भारत में व्यापक रूप से अपनाने की आवश्यकता महसूस की गई। 2006 में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने विवाह पंजीकरण को सभी धर्मों के लिए अनिवार्य बनाने के निर्देश दिए। इसका उद्देश्य महिला अधिकारों की रक्षा करना और धोखाधड़ी, बाल विवाह, बहुविवाह और अन्य सामाजिक बुराइयों को रोकना था।
इस प्रकार, विवाह प्रमाण पत्र की शुरुआत का इतिहास विभिन्न कानूनी सुधारों और सामाजिक जरूरतों से जुड़ा है, जिससे विवाह पंजीकरण को कानूनी रूप से महत्वपूर्ण बनाया गया।
महत्वपूर्ण लिंक
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अन्य महत्वपूर्ण बातें
- हर राज्य में ऑनलाइन अप्लाई की सुविधा नहीं होती है। कई राज्यों में यह प्रक्रिया ऑफलाइन होती है। इसीलिए आपको अपने राज्य की प्रक्रिया की जानकारी लेनी चाहिए।
- यह मार्गदर्शिका आंध्र प्रदेश के उदाहरण पर आधारित है। अन्य राज्यों की प्रक्रियाएं थोड़ी भिन्न हो सकती हैं।
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